🌀 पोस्ट- 30   |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम के जमाने मे दो औरतें थीं। दोनो की गोद मे दो बेटे थे । वह दोनो कही जा रहे थे। कि रास्ते मे एक भेड़ीया आया। एक बच्चा उठा ले गया और वह औरत जिसका बच्चा भेड़ीया उठाकर ले गया था, दुसरी औरत के बच्चे को छिनकर बोली की यह बच्चा मेरा है। भेड़ीया तेरे बच्चे को उठाकर ले गया है।

▫️दोनो का झगड़ा बढ़ गया तो दोनो हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम की अदालत मे हाजीर हुई। हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम ने वह बच्चा बड़ी औरत को दिला दिया। हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम को जब इस बात की खबर हुई तो आपने फरमाया अब्बाजान एक फैसला मेरा भी है। वह यह है की छुरी मंगवाई जाये मै इस बच्चे को दो टुकड़े करता हुं और आधा बड़ी को और आधा छोटी को दे देता हुं यह फैसला सुनकर बड़ी खामोश रही और छोटी बोली की हुजूर आप बच्चा बड़ी को ही दे दे लेकीन खुदारा बच्चे को टुकड़े न कीजीए। हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने फरमाया बच्चा इसी छोटी का है जिसके दिल मे सफकते मादरी पैदा हो गयी चुनांचे वह बच्चा
छोटी को दे दिया गया।

📜 फत्हुल-बारी जुज-12 सफा-268, मिश्कत शरिफ सफा-500


🌹 सबक ~
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इज्तिहाद के साथ बड़े बड़े मुश्किल मसाइल हल हो जाते है।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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