🌀 पोस्ट- 2 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ एक मकाम पर हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) वजु फरमाया तो हजरत बिलाल (रजी अल्लाहु अन्हु) ने वजू से बचा हुवा पानी ले लिया।
दिगर (और दुसरे) सहाबा-ए-किराम ने जब देखा की हजरत बिलाल (रजी अल्लाहु अन्हु) के पास हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के वजू का बचा हुवा पानी है। तो हजरत बिलाल (रजी अल्लाहु अन्हु) की तरफ दौड़े और मुकद्दस पानी को हासील करने की कोशीश करने लगे।
जिस किसी को उस पानी से थोड़ा पानी मिलता ओ उस पानी को अपने मुंह पर मल लेते। और जिस किसी को न मिल सका तो उसने किसी दुसरे के हाथ से तरी लेकर मुंह पर हाथ फेर लेते।
📜 मिसकात शरिफ, पेज-65
🌹 सबक ~
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सहाबा-ए-किराम (रजी अल्लाहु अन्हु) को हर उस चिज से जिसे हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) से कोइ
निस्बत हासील हो गई ।
मोहब्बत व प्यार था और उसे वाजीब-ए-ताजीम समझते थे। उस से बरकत हासील करते थे। मालूम हुवा की तबर्रूक कोइ नयी बात और बिद्दत नही बल्की सहाबा-ए-किराम को भी मालुम था।
ये भी मालुम हुवा की अपने वाजु के बचे हुए पानी को बा-तौर तबर्रूक लेकर अपने चेहरो पर मल लेने का हुक्म हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने भी नही दिया मगर सहाबा-ए-किराम फिर भी ऐसा करते थे । उनकी मोहब्बत की वजह से था जो ऐन इमान है।
इसी तरह हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने जुलुस, मिलाद, महफिल-ए-मिलाद, अजान मे नाम-ए-पाक सुनकर अंगुठे चुमने का हुक्म अगर न भी दिये हो तो भी जो शख्स मोहब्बत की वजह से ऐसा करेगा इंशाअल्लाह-व-ताआला सहाबा-ए-किराम के सदके मे सवाब पायेगा।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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