■ हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम और हज़रत इल्यास अलैहिस्सलाम दोनों हर साल हज के मौक़े पर मिलते हैं हज व उमरा करते हैं आबे ज़म-ज़म शरीफ पीते हैं जो कि उनके लिए साल भर की ग़िज़ा का काम करता है, और बैतुल मुक़द्दस में दोनों हज़रात रमज़ान शरीफ का रोज़ा भी रखा करते हैं ।

📕 फतावा रज़वियह, जिल्द 9, सफह 108
📕 ज़रक़ानी, जिल्द 5, सफह 354


हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम और हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ~

एक मर्तबा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मस्जिदे नब्वी शरीफ में थे कि किसी की आवाज़ सुनी तो आपने हज़रते अनस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को भेजा और कहा कि उनको मेरा सलाम कहो और कहो कि मेरे लिए दुआ करें, जब हज़रत अनस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने उनसे जाकर कहा तो जवाब देने के बाद वो कहने लगे कि मैं क्या उनके लिए दुआ कर सकता हूं उन्हें तो तमाम अम्बिया का सरदार बनाया गया है । हम तो खुद उनकी दुआ के मोहताज हैं । हज़रत अनस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु वापस आये और उनका पैगाम सुनाया तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि वो हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम थे ।

◆ इसी तरह हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के विसाल के दिन एक शख्स सफों को चीरता हुआ आगे पहुंचा और सहाबा को तसल्ली दी और फिर वो गायब हो गया तो हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से फरमाते हैं कि ये हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम थे तो आप फरमाते हैं कि बिल्कुल मैं उन्हें पहचानता हूं ।

● इसी तरह एक मर्तबा हज़रते उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु एक नमाज़े जनाज़ा में शिरकत के लिए खड़े हुए तो दूर से एक शख्स ने आवाज़ दी कि रुकिये मैं भी शामिल होता हूं, बाद नमाज़ जब उनको ढूंढा गया तो ना मिले तो हज़रत उमर फारूक़े आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि ये हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम थे ।

◆ इसके अलावा और भी सहाबाये किराम से मुलाकात का तज़किरा मिलता है और बहुत से बुज़ुर्गाने दीन से भी आपकी मुलाकात साबित है, सबका ज़िक्र करने के बजाये उन बुज़ुर्गों के नाम पर ही इक़्तिफा करता हूं -

हज़रत दाता गंज बख्श लाहौरी
हज़रत मखदूम अशरफ जहांगीर समनानी
हज़रत ख्वाजा बहाउद्दीन नक्शबंदी
हज़रत ख्वाजा अब्दुल खालिक़ गज्दवानी
हुज़ूर ग़ौसे पाक
हुज़ूर मोहिउद्दीन इब्ने अरबी
हज़रत इमाम अहमद बिन हम्बल
हज़रत निज़ामी गंजवी
हज़रत अहमद बिन अल्वी
हज़रत शाह रुक्न आलम मुल्तानी
हज़रत अब्दुल क़ाहिर सुहरवर्दी
हज़रत बिशर बिन हारिस
हज़रत ख्वाजा अब्दुल्लाह अंसारी
हज़रत अब्दुल शैख कैलवी
हज़रत मौलाना जलालुद्दीन रूम
हज़रत शैख सादी
हज़रत ख्वाजा सुलेमान तस्वी
हज़रत ख्वाजा शम्सुद्दीन सियाल्वी
हज़रत इब्ने जौज़ी
हज़रत शैख बदरुद्दीन ग़ज़नवी
हज़रत अब्दुल वहाब मुत्तक़ी
हज़रत जाफर मक्की सरहिंदी
हज़रत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी
हज़रत मुहम्मद बिन समाक
हज़रत अबुल हसन शीराज़ी
हज़रत शैक अबु मदयन
हज़रत अब्दुर्रहमान छुहरावी

📕 रिजालुल ग़ैब, सफह 154-198

ये कुछ हज़राते मुक़द्दसा के नाम हैं जिनके बारे में तफ्सील से किताब में लिखा है और जिस तरतीब से
वाक्यिात दर्ज थे मैंने उसी तरतीब से सबका नाम लिख दिया मर्तबे के लिहाज़ा से नहीं लिखा, लिहाज़ा इसमें ऐतराज़ करने जैसी कोई बात नहीं है कि फलां बुज़ुर्ग पहले के हैं और बड़े हैं तो उनका नाम बाद में और नीचे लिखा है, और ऐसा भी नहीं है कि जिनका नाम लिखा है सिर्फ उन्हीं हज़रात से हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम की मुलाकात हुई है बाकी इसके अलावा किसी से नहीं, नहीं बल्कि और किताबों में और भी बुज़ुर्गाने दीन से मुलाकात के अहवाल लिखे हो सकते हैं बल्कि होंगे ही, उसी तरह एक रिवायत शहर क़ाज़ी इलाहाबाद हज़रत मुफ़्ती शफीक अहमद शरीफी साहब क़िब्ला ये बयान फरमाते हैं कि हज़रत मखदूम अशरफ जहांगीर समनानी रहमतुल्लाह तआला अलैहि अपनी किसी किताब में लिखते हैं कि हज़रते खिज़्र अलैहिस्सलाम हर आधे घंटे में 1 बार हज़रत सय्यद सालार मसऊद गाज़ी रहमतुल्लाह तआला अलैहि के आस्ताने मुबारक बहराईच शरीफ में हाज़िरी देते हैं ।

खत्म...........🔚🔚🔚

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)

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