🌀 पोस्ट- 7 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ हजरत अबुल हसन खरकानी अलैहीर्रहमा के पास एक शख्स इल्मे हदीस पढ़ने के लिए आया और दरयाफ्त किया की आप ने हदीस कहाँ से पढ़ी ??
हजरत ने फरमाया: बराहे रास्त हुजूर ﷺ से । उस शख्स को यकीन न आया । रात को सोया तो हुजूर ﷺ ख्वाब मे तशरीफ लाये और फरमाया-
▫️अबुल हसन सच कहता है। मैने ही उसे पढ़ाया है। सुबह वह हजरत अबुल हसन की खिदमत मे हाजीर हुआ और हदीस पढ़ने लगा । बाज मकामात पर हजरत अबुल हसन ने फरमाया: यह हदीस हुजूर ﷺ से मरवी नही है।
उस शख्स ने पुछा आपको कैसे मालुम??
फरमाया : तुमने हदीस मुबारक पढ़ना शुरू किया तो मैने अबरूए मुबारक को देखना शुरू किया । मेरी यह आँखे हुजूर ﷺ के चेहराए मुबारक पर है। जब हुजूर ﷺ के चेहरे मुबारक पर शिकन पड़ती है तो मै समझ जाता हूँ की हुजूर ﷺ इस हदीस से ईन्कार फरमा रहे है।
📜 तजकिरतुल औलीया, सफा 466
🌹 सबक ~
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हमारे हुजूर ﷺ जिन्दा है और हाजीर व
नाजीर है।
यह भी मालुम हुआ की अल्लाह वाले हुजूर ﷺ के दिदारे पुर अनवार से अब भी मुशर्रफ होते है। फिर जो हुजूर ﷺ को जिन्दा न माने वह खुद ही मुर्दा है।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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