🌀 पोस्ट- 26 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ एक मर्तबा हजरत जिब्रइल अलैहिस्सलाम फिरऔन के पास एक सवाल लाये। जिसका मजमुन यह था की बादशाह का क्या हुक्म है, ऐसे गुलाम के हक मे जिसने एक शख्स के माल व नेमत मे परवरिश पाई फिर उसी के नाशुक्री की और उसके हक मे मुन्कीर हो गया और अपने आप मौला होने का दावेदार हो गया।
इस पर फिरऔन ने जवाब लिखा की जो नमकहराम गुलाम अपने आका की नेमतो का इन्कार करे और उसके मुकाबील आये उसकी यह सजा है की उसको दरिया मे डुबो दिया जाए।
चुनांचे:- फिरऔन जब खुद दरिया मे डुबने लगा तो हजरत जिब्रइल अलैहिस्सलाम ने उसका वही फतवा उसके सामने पेश कर दिया और उसको उसने पहचान लिया।।
📜 खजाइनुल ईरफान, सफा-611
🌹 सबक ~
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इंसान अगर अपने गुलाम की ना-फरमानी पर गुस्सा मे आ जाता है और उसे सजा देता है तो फिर वह खुद भी
अगर अपने मालीके हकीकी का ना-फरमान होगा तो सजा भुगतने को तैयार रहे।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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