🌀 पोस्ट- 14 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सलाम जब 30 साल के हो गये तो एक दिन फिरऔन के महल से निकल कर शहर मे दाखील हुए। आप दो आदमीयो को आपस मे लड़ते हुए झगड़ते देखे।
एक तो फिरऔन का बावरची था और दुसरा हजरत मुसा अलैहिस्सलाम की कौम यानी बनी इसराइल मे से था। फिरऔन का बावरची लकड़ीयो की गट्ठर उस दुसरे आदमी पर लाद कर उसे हुक्म दे रहा था की वह फिरऔन के बावरचीखाने तक वह लकड़ीयो को लेकर चले।
हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने यह बात देखी तो फिरऔन के बावरची से फरमाया: इस गरिब आदमी पर जुल्म न कर, लेकीन वह बाज न आया और बदजुबानी पर उतर आया ।
हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने उसे एक मुक्का मारा तो उस एक मुक्के से उस फिरऔनी का दम निकल गया और वह वही ढ़ेर हो गया।
📕 कुरआने करीम पारा 20, रुकू 5, रूहुल ब्यान जिल्द-2, सफा-625
🌹 सबक ~
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अंबिया_ए_किराम मजलूमो के हामी बनकर तशरिस
लाए है।
यह मालुम हुआ की नबी सीरत, सुरत और जोर व ताकत मे भी बुलंद व बाला होते है। नबी का मुक्का एक इम्तियाजी मुक्का था की एक ही मुक्का से जालिम का काम तमाम हो गया!!!
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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