अब हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम का दूसरा वाक़िया सुनिये इसका भी ज़िक्र क़ुर्आन में मौजूद है -
■ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि एक मर्तबा बनी इस्राईल ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से पूछा कि इस वक़्त रूए ज़मीन पर सबसे बड़ा आलिम कौन है तो आपने फरमाया कि मैं हूं, आपकी इस बात में थोड़ा सा ग़ुरूर का पहलु था लिहाज़ा रब ने इताब फरमाते हुए उनसे कहा कि ऐ मूसा तुमसे बड़ा आलिम भी इस ज़मीन पर मौजूद है यानि कि हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम, उनका ज़िक्र मौला तआला क़ुर्आन मुक़द्दस में कुछ युं इरशाद फरमाता है ~
कंज़ुल ईमान - तो हमारे बन्दों में से एक बन्दा पाया जिसे हमने अपने पास से रहमत दी और उसे अपना इल्मे लदुन्नी अता किया ।
★ अब जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने सुना तो अपने कहे पर नादिम हुए और उस शख्स से मिलने की इल्तिजा की, रब ने उन्हें अपने साथ एक भुनी हुई मछली लेकर सफर करने को कहा और फरमाया कि जहां पर दो समन्दर यानि बहरे फारस और बहरे रूम मिलेंगे यानि मजमउल बहरैन तो वहीं पर तुम्हारी ये मछली पानी में गुम हो जायेगी और तुम उनको पा सकोगे । हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम अपने होने वाले वली-अहद हज़रत यूशअ बिन नून अलैहिस्सलाम के साथ एक मछली को लेकर दो समन्दरों के मिलने की जगह को ढूंढ़ने निकल पड़े, दोनों हज़रात ने पानी का सफर शुरू किया एक जगह हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को नींद आ गयी और वो भुनी हुई मछली जिंदा होकर पानी में कूद गयी और एक कोह सा रास्ता बनाते हुए निकल गयी हज़रत यूशअ अलैहिस्सलाम ने देखा तो मगर उन्हें हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को बताना याद ना रहा और सफर जारी रखा, कुछ देर बाद जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की आंख खुली तो आपने खाने के लिए वही मछली मांगी तब हज़रत यूशअ अलैहिस्सलाम को ख्याल आया और उन्होंने सारी बात हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम बताई, तब दोनों हज़रात वापस लौटे और वहीं पहुंचे तो देखा कि पानी ठहरा हुआ है और उसमे मेहराब की तरह रास्ता बना हुआ है दोनों उसी रास्ते पर चल दिए कुछ दूर आगे बढे तो एक चट्टान के करीब एक शख्स चादर ओढ़े लेटा हुआ था, यही हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम थे, दोनों हज़रात उनके पास पहुंचे सलाम किया जवाब मिला, तब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उन्हें अपने आने का मक़सद बताया कि उन्हें भी कुछ इल्म हासिल करना है । लिहाज़ा उन्हें अपने साथ रखें, मगर हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने मना किया कि तुम हमारे साथ हरगिज़ ना रह सकोगे क्योंकि हमारे काम पर तुमसे सब्र ना हो सकेगा । इस पर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम फरमाते हैं कि बेशक मैं सब्र करूंगा तो हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने इस शर्त पर कि आप उनसे कोई सवाल नहीं करेंगे उन्हें अपने साथ रहने की इजाज़त दे दी ।
अब वो तीनो एक साहिल पर पहुंचे बहुत कोशिश की कि कोई नाव वाला उन्हें दरिया के उस पार छोड़ दे मगर उनके पास दरहमो दीनार ना थे लिहाज़ा कीमत ना मिलने की वजह से किसी ने भी उन्हें उस पार नहीं पहुंचाया, आखिरकार एक नेक कश्ती वाले ने बिना कीमत के आप लोगों को उस पार छोड़ने के लिए कश्ती में बिठा लिया मगर जब कश्ती बीच रास्ते में पहुंची तो हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने उसकी कश्ती तोड़ डाली और उसमे छेद
कर दिया, ये देखकर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से सब्र ना हुआ और आपने उनसे कह दिया कि एक तो कोई हमें इस पार छोड़ने को तैयार ना था एक अल्लाह के बन्दे ने हम पर एहसान किया और आपने उसकी कश्ती तोड़ दी, इस पर हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम बोले कि मैंने पहले ही कहा था कि तुम हमारे साथ नहीं रह सकोगे फौरन हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने माफी मांगी और आगे से ऐसा ना करने का वादा किया, फिर तीनो हज़रात आगे बढ़े ।
एक जगह कुछ लड़के खेल रहे थे उसमे एक लड़का जो सब में हसीन था जिसका नाम जीसूर या ज़नबतूर था हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने उसको क़त्ल कर दिया, अपने सामने एक मज़लूम का क़त्ल होते देख हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से ज़ब्त ना हो सका और आप गुस्से में फिर बोल पड़े कि आपने एक जान को क़त्ल कर डाला, हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने उन्हें उनकी बात याद दिलाई तो इस पर उन्होंने माज़रत चाही कि एक और मौक़ा दे दीजिये अगर अबकी बार मैंने कुछ कहा तो फिर मुझे अपने से जुदा कर दीजियेगा, हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने उनकी बात मान ली और सभी फिर आगे बढ़ चले ।
📕 पारा 15, सूरह कहफ, आयत 60-82
📕 तज़किरातुल अम्बिया, सफह 331
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
🔴इस उनवान के दीगर पार्ट के लिए क्लिक करिये ⬇
http://www.MjrMsg.blogspot.com/p/hazrat-khizr-alaihissalam-hindi.html
■ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि एक मर्तबा बनी इस्राईल ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से पूछा कि इस वक़्त रूए ज़मीन पर सबसे बड़ा आलिम कौन है तो आपने फरमाया कि मैं हूं, आपकी इस बात में थोड़ा सा ग़ुरूर का पहलु था लिहाज़ा रब ने इताब फरमाते हुए उनसे कहा कि ऐ मूसा तुमसे बड़ा आलिम भी इस ज़मीन पर मौजूद है यानि कि हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम, उनका ज़िक्र मौला तआला क़ुर्आन मुक़द्दस में कुछ युं इरशाद फरमाता है ~
कंज़ुल ईमान - तो हमारे बन्दों में से एक बन्दा पाया जिसे हमने अपने पास से रहमत दी और उसे अपना इल्मे लदुन्नी अता किया ।
★ अब जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने सुना तो अपने कहे पर नादिम हुए और उस शख्स से मिलने की इल्तिजा की, रब ने उन्हें अपने साथ एक भुनी हुई मछली लेकर सफर करने को कहा और फरमाया कि जहां पर दो समन्दर यानि बहरे फारस और बहरे रूम मिलेंगे यानि मजमउल बहरैन तो वहीं पर तुम्हारी ये मछली पानी में गुम हो जायेगी और तुम उनको पा सकोगे । हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम अपने होने वाले वली-अहद हज़रत यूशअ बिन नून अलैहिस्सलाम के साथ एक मछली को लेकर दो समन्दरों के मिलने की जगह को ढूंढ़ने निकल पड़े, दोनों हज़रात ने पानी का सफर शुरू किया एक जगह हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को नींद आ गयी और वो भुनी हुई मछली जिंदा होकर पानी में कूद गयी और एक कोह सा रास्ता बनाते हुए निकल गयी हज़रत यूशअ अलैहिस्सलाम ने देखा तो मगर उन्हें हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को बताना याद ना रहा और सफर जारी रखा, कुछ देर बाद जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की आंख खुली तो आपने खाने के लिए वही मछली मांगी तब हज़रत यूशअ अलैहिस्सलाम को ख्याल आया और उन्होंने सारी बात हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम बताई, तब दोनों हज़रात वापस लौटे और वहीं पहुंचे तो देखा कि पानी ठहरा हुआ है और उसमे मेहराब की तरह रास्ता बना हुआ है दोनों उसी रास्ते पर चल दिए कुछ दूर आगे बढे तो एक चट्टान के करीब एक शख्स चादर ओढ़े लेटा हुआ था, यही हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम थे, दोनों हज़रात उनके पास पहुंचे सलाम किया जवाब मिला, तब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उन्हें अपने आने का मक़सद बताया कि उन्हें भी कुछ इल्म हासिल करना है । लिहाज़ा उन्हें अपने साथ रखें, मगर हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने मना किया कि तुम हमारे साथ हरगिज़ ना रह सकोगे क्योंकि हमारे काम पर तुमसे सब्र ना हो सकेगा । इस पर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम फरमाते हैं कि बेशक मैं सब्र करूंगा तो हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने इस शर्त पर कि आप उनसे कोई सवाल नहीं करेंगे उन्हें अपने साथ रहने की इजाज़त दे दी ।
अब वो तीनो एक साहिल पर पहुंचे बहुत कोशिश की कि कोई नाव वाला उन्हें दरिया के उस पार छोड़ दे मगर उनके पास दरहमो दीनार ना थे लिहाज़ा कीमत ना मिलने की वजह से किसी ने भी उन्हें उस पार नहीं पहुंचाया, आखिरकार एक नेक कश्ती वाले ने बिना कीमत के आप लोगों को उस पार छोड़ने के लिए कश्ती में बिठा लिया मगर जब कश्ती बीच रास्ते में पहुंची तो हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने उसकी कश्ती तोड़ डाली और उसमे छेद
कर दिया, ये देखकर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से सब्र ना हुआ और आपने उनसे कह दिया कि एक तो कोई हमें इस पार छोड़ने को तैयार ना था एक अल्लाह के बन्दे ने हम पर एहसान किया और आपने उसकी कश्ती तोड़ दी, इस पर हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम बोले कि मैंने पहले ही कहा था कि तुम हमारे साथ नहीं रह सकोगे फौरन हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने माफी मांगी और आगे से ऐसा ना करने का वादा किया, फिर तीनो हज़रात आगे बढ़े ।
एक जगह कुछ लड़के खेल रहे थे उसमे एक लड़का जो सब में हसीन था जिसका नाम जीसूर या ज़नबतूर था हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने उसको क़त्ल कर दिया, अपने सामने एक मज़लूम का क़त्ल होते देख हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से ज़ब्त ना हो सका और आप गुस्से में फिर बोल पड़े कि आपने एक जान को क़त्ल कर डाला, हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने उन्हें उनकी बात याद दिलाई तो इस पर उन्होंने माज़रत चाही कि एक और मौक़ा दे दीजिये अगर अबकी बार मैंने कुछ कहा तो फिर मुझे अपने से जुदा कर दीजियेगा, हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने उनकी बात मान ली और सभी फिर आगे बढ़ चले ।
📕 पारा 15, सूरह कहफ, आयत 60-82
📕 तज़किरातुल अम्बिया, सफह 331
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
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