🌀 पोस्ट-5  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ बगदाद के हाकीम इब्राहीम बिन इस्हाक ने एक रात ख्वाब मे हुजूर अकरम (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) को देखा । हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने उससे फरमाया कातील को रिहा कर दो। यह हुक्म सुनकर हाकीमे बगदाद कांपता हुआ उठा और मतेहत अमला से पुछा की क्या कोइ ऐसा मुजरिम भी है जो कातील है??

उन्होने बताया की हां! एक शख्स भी है जिस पर कत्ल का इलजाम है। हाकीमे बगदाद ने कहा: उसे मेरे सामने लाओ। चुनांचे उसे लाया गया । हाकीमे बगदाद ने पूछा सच सच बताओ वक्या क्या है ? उस ने कहा सच कहुंगा झुठ हरगीज ना कहुंगा ।

बात यह हुई की हम चन्द आदमी मिलकर एय्यासी व मदमाशी किया करते थे । एक बढ़ी औरत को हमने मुकर्रर कर रखा था जो हर रात किसी बहाने से कोइ न कोइ औरत ले आती थी ।

एक रात वह एक ऐसी औरत को लाइ जिस ने मेरी दुनीयाँ मे इन्कलाब बरपा कर दिया -

● बात यह हूई की वह औरत जब हमारे सामने आई तो चिख मारकर बेहोश होकर गिर गई । मैने उसे उठाकर एक दुसरे कमरे मे लाकर उसे होश मे लाने की कोशीश की । जब वह होश मे आ गइ तो उससे चिखने और बेहोश होने की वजह पुछी।

वह बोली: ऐ नौजवान मेरे हक मे अल्लाह से डर। फिर कहती हुँ की अल्लाह से डर । यह बुढ़ीया तो मुझे बहाने से इस जगह ले आई है। देख मै एक शरीफ औरत हुँ। सय्यदा हूँ मेरे नाना रसूलूल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) और माँ फातीमा जुहरा है। खबरदार! इस निस्बत का लिहाज रखना और मेरी तरफ बद-निगाही से न देखना ।

मै जब उस पाक औरत से, जो सय्यदा थी यह बात सुनी तो, लरज गया और अपने दोस्तो के पास हकीकते हाल से आगाह किया। कहा की अगर आकबत की खैर चाहते हो तो इस मुकर्ररमा मोअज्जमा खातुन की बे अदबी न होने पाये । मेरे दोस्तो ने यह बात से यह समझा की शायद मै उनको हटाकर खूद तन्हा ही यह गुनाह करना चाहता हुँ। उनसे धोखा कर रहा हुँ। इसी ख्याल से वह मुझसे लड़ने पर आमादा हो गये।

मैने कहा :  मै तुम लोग को किसी सुरत मे इस गलत और बुरे काम की ईजाजत न दुँगा। लड़ुंगा मर जाऊंगा मगर इस सय्यदा की तरफ बद-निगाही मंजूर न करूंगा। चुनाँचे वह मुझपर झपट पड़े और मुझे उनके हमले से
एक जख्म भी आ गया । बिच मे एक शख्स जो उस सय्यदा के कमरे की तरफ जाना चाहता था, मेरे रोकने पर मुझपर हमलावर हुवा तो मै उस पर छुरी से हमला कर दिया । उसे मार डाला । फिर उस सय्यदा को अपनी हिफाजत मे लेकर बाहर निकला तो शोर मच गये । छुरी मेरे हाथ मे थी। मै पकड़ा गया और यह ब्यान दे रहा हुँ।

हाकीमे बगदाद ने कहा: तुम्हे रसुलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के हुक्म से रिहा किया जाता है।

📜 हुज्जतुल्लाह अलल-आलमीन, सफ-813


🌹सबक ~
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हमारे हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) अपनी उम्मत के हर नेक व बद आदमी और हर नेक व बद अमल को जानते और देखते है।

यह भी मालूम हुआ की हुजुर की निस्बत के लिहाज व अदब से आदमी का अंजाम अच्छा हो जाता है। लिहाजा हर उस चिज का दिल मे अदब व एहतेराम रखना चाहीये जिसका हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) से तअल्लुक हो।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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