आलाहज़रत
मुजद्दिदे दीनो मिल्लत इमाम इश्को मुहब्बत सय्यदना इमाम अहमद रज़ा खान
रज़ियल्लाहु तआला अन्हु तमाम उम्महातुल मोमेनीन व हज़रत सय्यदना 'खुदैजा'
रज़ियल्लाहु तआला अन्हा की शाने अक़्दस में फरमाते हैं ~
अहले इस्लाम की मादराने शफीक़
बानवाने तहारत पे लाखों सलाम
जलवा गय्याने बैतुश शरफ पर दुरूद
पर्द गय्याने इफ्फत पे लाखों सलाम
सय्येमा पहली मां कहफे अमनो अमां
हक़ गुज़ारे रिफाक़त पे लाखों सलाम
अर्श से जिसपे तसलीम नाज़िल हुई
उस सराए सलामत पे लाखों सलाम
मंज़िलुन मिन कसब ला नसब ला सख़ब
ऐसे कोशक की ज़ीनत पे लाखों सलाम
नाम ----- उम्मुल मोमेनीन हज़रत सय्यदना 'खुदैजा' रज़ियल्लाहु तआला अन्हा
वालिद --- खवीलद बिन असद
वालिदा -- फातिमा बिन्त ज़ायदह
विलादत - नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलादत से 15 साल क़ब्ल
शौहर --- नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम
निकाह --- ऐलाने नुबुव्वत से 15 साल क़ब्ल
औलाद --- (6) हज़रत क़ासिम, हज़रत अब्दुल्लाह, हज़रत ज़ैनब, हज़रत रुक़य्या, हज़रत उम्मे कुलसुम, हज़रत फातिमा
विसाल --- 10 रमज़ान, हिजरत से 3 साल क़ब्ल
◻️ इस पर कोई इख्तेलाफ नहीं कि नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर सबसे पहले आप ही ईमान लाईं ।
◼️ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के निकाह में आने से पहले आपकी 2 शादियां हो चुकी थी जिनसे आपको 3 औलादें भी थी, लड़कों में हज़रत हिन्द रज़ियल्लाहु तआला अन्हु सहाबी हुए और जंगे जमल में शहीद हुए ।
◻️ जिस वक़्त आपका निकाह नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से हुआ उस वक़्त आपकी उम्र 40 साल और नबी की उम्र 25 साल थी और हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अब तक कुंवारे थे ।
◼️ आप हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की रिफाकत में 25 साल रहीं और जब तक आप हयात में रहीं तब तक हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने दूसरा निकाह नहीं किया ।
◻️ रब ने बज़रिये हज़रत जिब्रईल के आपको सलाम कहलवाया ये खुसूसियत औरतों में सिर्फ आपको मिली और मर्दों में सिर्फ हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को ।
◼️ आप बहुत मालदार थीं पर अल्लाह और रसूल की खुशनूदी के लिए अपना सारा माल दीने राह में खर्च कर दिया ।
◻️ सिवाए हज़रत इब्राहीम के हुज़ूर की सारी औलादें आप ही से थी लड़के तो सब बचपन में ही इंतेक़ाल कर गए मगर लड़कियों में सबकी शादिेयां हुई, सय्यदह ज़ैनब का निकाह हज़रत अबुल आस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से हज़रत सय्यदह रुक़य्या व हज़रत सय्यदह उम्मे कुलसुम एक के बाद एक हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से व हज़रत सय्यदना फातिमातुत ज़ुहरा का निकाह मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से हुआ ।
◼️ आपकी क़ब्र मुबारक हिजून में है जिसको अब जन्नतुल मुअल्ला कहा जाता है आपकी नमाज़े जनाज़ा नहीं
पढ़ी गयी क्योंकि उस वक़्त तक नमाज़े जनाज़ा का हुक्म नहीं आया था ।
◻️ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि अल्लाह की कसम खुदैजा उस वक़्त मुझ पर ईमान लाईं जब तमाम लोग मुझे झुटला रहे थे मेरा वो उस वक़्त सहारा बनी जब कि लोग मेरे मुखालिफ हो गए थे ।
📕 मदारेजुन नुबुव्वत, जिल्द 2, सफह 797-798
📕 शरह सलामे रज़ा, सफह 485
📕 उम्महातुल मोमेनीन, सफह 19
------------------------------------------------------------
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
🔴इस उनवान के दीगर पार्ट के लिए क्लिक करिये ⬇
http://www.MjrMsg.blogspot.com/p/sawaaneh-hayaat-hindi.html
अहले इस्लाम की मादराने शफीक़
बानवाने तहारत पे लाखों सलाम
जलवा गय्याने बैतुश शरफ पर दुरूद
पर्द गय्याने इफ्फत पे लाखों सलाम
सय्येमा पहली मां कहफे अमनो अमां
हक़ गुज़ारे रिफाक़त पे लाखों सलाम
अर्श से जिसपे तसलीम नाज़िल हुई
उस सराए सलामत पे लाखों सलाम
मंज़िलुन मिन कसब ला नसब ला सख़ब
ऐसे कोशक की ज़ीनत पे लाखों सलाम
नाम ----- उम्मुल मोमेनीन हज़रत सय्यदना 'खुदैजा' रज़ियल्लाहु तआला अन्हा
वालिद --- खवीलद बिन असद
वालिदा -- फातिमा बिन्त ज़ायदह
विलादत - नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलादत से 15 साल क़ब्ल
शौहर --- नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम
निकाह --- ऐलाने नुबुव्वत से 15 साल क़ब्ल
औलाद --- (6) हज़रत क़ासिम, हज़रत अब्दुल्लाह, हज़रत ज़ैनब, हज़रत रुक़य्या, हज़रत उम्मे कुलसुम, हज़रत फातिमा
विसाल --- 10 रमज़ान, हिजरत से 3 साल क़ब्ल
◻️ इस पर कोई इख्तेलाफ नहीं कि नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर सबसे पहले आप ही ईमान लाईं ।
◼️ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के निकाह में आने से पहले आपकी 2 शादियां हो चुकी थी जिनसे आपको 3 औलादें भी थी, लड़कों में हज़रत हिन्द रज़ियल्लाहु तआला अन्हु सहाबी हुए और जंगे जमल में शहीद हुए ।
◻️ जिस वक़्त आपका निकाह नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से हुआ उस वक़्त आपकी उम्र 40 साल और नबी की उम्र 25 साल थी और हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अब तक कुंवारे थे ।
◼️ आप हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की रिफाकत में 25 साल रहीं और जब तक आप हयात में रहीं तब तक हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने दूसरा निकाह नहीं किया ।
◻️ रब ने बज़रिये हज़रत जिब्रईल के आपको सलाम कहलवाया ये खुसूसियत औरतों में सिर्फ आपको मिली और मर्दों में सिर्फ हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को ।
◼️ आप बहुत मालदार थीं पर अल्लाह और रसूल की खुशनूदी के लिए अपना सारा माल दीने राह में खर्च कर दिया ।
◻️ सिवाए हज़रत इब्राहीम के हुज़ूर की सारी औलादें आप ही से थी लड़के तो सब बचपन में ही इंतेक़ाल कर गए मगर लड़कियों में सबकी शादिेयां हुई, सय्यदह ज़ैनब का निकाह हज़रत अबुल आस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से हज़रत सय्यदह रुक़य्या व हज़रत सय्यदह उम्मे कुलसुम एक के बाद एक हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से व हज़रत सय्यदना फातिमातुत ज़ुहरा का निकाह मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से हुआ ।
◼️ आपकी क़ब्र मुबारक हिजून में है जिसको अब जन्नतुल मुअल्ला कहा जाता है आपकी नमाज़े जनाज़ा नहीं
पढ़ी गयी क्योंकि उस वक़्त तक नमाज़े जनाज़ा का हुक्म नहीं आया था ।
◻️ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि अल्लाह की कसम खुदैजा उस वक़्त मुझ पर ईमान लाईं जब तमाम लोग मुझे झुटला रहे थे मेरा वो उस वक़्त सहारा बनी जब कि लोग मेरे मुखालिफ हो गए थे ।
📕 मदारेजुन नुबुव्वत, जिल्द 2, सफह 797-798
📕 शरह सलामे रज़ा, सफह 485
📕 उम्महातुल मोमेनीन, सफह 19
------------------------------------------------------------
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
🔴इस उनवान के दीगर पार्ट के लिए क्लिक करिये ⬇
http://www.MjrMsg.blogspot.com/p/sawaaneh-hayaat-hindi.html