देवबन्दी जमाअत के इमामे अव्वल मौलवी इस्माइल साहब लिखते हैं .........

(5). जो कोई किसी का नाम उठते बैठते लिया करे और दूर व नज़दीक से पुकारे या उसकी सूरत का ख़्याल बाँधे और यूं समझे कि मैं उसका नाम लेता हूं ज़बान से या दिल से या उसकी सूरत का या उसकी कब्र का ख़्याल बाँधता हूं तो वहीं उसको ख़बर हो जाती है और उस से मेरी कोई बात छुपी नहीं रह सकती और जो मुझ पर अहवाल खुज़रते हैं जैसे बीमारी व तन्दरुस्ती व कुशाइश व तंगी मरना व जीना ग़म व खुशी सब की हर वक्त उसे ख़बर रहती है और जो बात मेरे मुंह से निकलती है वह सब सुन लेते हैं। जो ख़्याल व वहम मेरे दिल में गुज़रता है वह सब से वाकिफ़ है सो इन बातों से मुश्रिक हो जाता है। और इस किस्म की बातें सब शिर्क है,,, ख़्वाह यह अकीदा अम्बिया व औलिया से रखे,ख़्वाह पीर व शहीद से ख़्वाह इमाम व इमाम ज़ादे से ख़्वाह भूत व परी से ख़्वाह यूं समझो कि यह बात उनको अपनी ज़ात से है ख़्वाह अल्लाह के दिये से ग़र्ज इस अकीदे से हर तरह शिर्क साबित होगा।
#(तकवियतुल ईमान, सफा:10)


★मआजल्लाह★

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-12

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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