एक और हैरत अंगेज़ वाकेआ.......

सुनने की बात यही है जो इस के बाद इस देवबन्दी इमाम मौलवी मुशाहेदे के बाद बयान की कहते हैं ये कि मौलाना वाएज़ साहेब के सामने में भी बैठ गया।

अभी गुफ़्तगू शुरू नहीं हुई थी कि अचानक अपने बाज़ में मुझे महसूस हुआ कि एक शख़्स जिसे मैं नहीं जानता था वह भी आकर बैठ गया और मुझ से वह अजनबी अचानक नमूदार होने वाली शख़सियत कहती है कि हाँ गुफ़्तगू शुरू करो और हरगिज़ न डरो। दिल में ग़ैर मामूली कव्वत इस से पैदा हुई।

इसके बाद क्या हुआ। देवबन्दी इमाम साहेब का बयान है कि मेरी ज़बान से कुछ फ़िकरे निकल रहे थे और इस तौर पर निकल रहे थे कि मैं खुद नहीं जानता था कि क्या कर रहा हूं। जिस का जवाब मौलाना वाएज़ साहेब ने
इब्तेदा में तो दिया लेकिन सवाल व जवाब का सिलसिला अभी ज़्यादा दराज़ भी नहीं हुआ था कि एक दफ़ा मौलाना वाएज़ साहब को देखता हूं कि उठ खङे हए। ।।।।।।।।

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-27

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

🔴इस पोस्ट के दीगर पार्ट के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/zalzala.html