देवबन्दी जमाअत के इमामे अव्वल मौलवी इस्माइल साहब लिखते हैं ........

(9). जो अल्लाह की शान है उसमें किसी मख़लूक को दख़ल नहीं सो इसमें अल्लाह के साथ किसी मख़लूक को न मिलाओ। गो कोई कितना ही बङा हो और कैसा ही मुक़र्रब। मसलन यूं न बोले की अल्लाह व रसूल चाहेंगे तो फ़लाना काम हो जाएगा। कि सारा कारोबार जहाँ का अल्लाह ही के चाहने से होता है रसूल के चाहने से कुछ नहीं होता या कोई शख़्स किसी से कहे कि फ़लाँ के दिल में क्या है। या फ़लाँ की शादी कब होगी। या फ़लाँ दरख़्त में कितने पत्ते हैं। या आसमान में कितने सितारे हैं। तो इसके जवाब में यह न कहे कि अल्लाह व रसूल ही जाने। क्योंकि ग़ैब की बात अल्लाह ही जानता है रसूल को क्या ख़बर।
#(तकवियतुल ईमान, सफा : 58)


★मआजल्लाह★

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-13

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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