🕌 अपने ही हाथों अपने मज़हब का ख़ून..... 🕋

और सच तो यह है कि आदमी को आम तौर पर जो इमदाद भी मिल रही है हक़ तआला अपनी मख़लूकात ही से तो यह इमदादें पहुंचा रहे हैं। रौशनी आफ़ताब से मिलती है दूध हमें गाए और भैंस से मिलता है यह तो एक वाकिआ है भला यह भी इन्कार करने की कोई चीज़ हो सकती है।

#हाशिया सवानेह क़ासिमी, सफा-332


📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-31, 32

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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