🕌 इल्म माफ़िल अरहाम का अजीब व ग़रीब वाकिआ.... 🕋
कुरआन की आयत भी बरहक़ और हदीस भी वाजबुत्तस्लीम ।
लेकिन इतना अर्ज़ करने की इजाज़त चाहूंगा कि मज़कूरा बाला आयत व हदीस अगर रसूले मुजतबा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हक़ में इल्म माफ़िल अरहाम ( यह इल्म कि माँ के पेट में क्या है ) के इन्कार की दलील बन सकती है तो इल्म व दियानत के हुजूर में इस सवाल का जवाब दिया जाए कि यही आयत और यही हदीस देवबन्दी उल्मा के नज़दीक क़ाज़ी अब्दुल ग़नी मौल्वी क़ासिम साहब नानौतवी और मौलवी रशीद अहमद साहेब गंगोही के हक़ में इल्म माफ़िल अरहाम के एतकाद से क्यों नहीं रोक रही है।
और अगर अपने बुजुर्गों के हक़ में मज़कूरा बाला आयत व हदीस की कोई तावील तलाश कर ली गई थी तो फिर वही तावील रसूले मुजतबा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हक़ में क्यों नहीं रवा रखी गई।
एक ही मसले में ज़हन के दो रुख़ की वजह सिवाए इसके और क्या हो सकती है कि जिसे अपना समझा गया उसके कमालात के इज़हार के लिए नहीं भी को गुंजाइश थी तो निकाल ली गई और जिस के लिए दिल के अन्दर
को नरम गोशा तक मौजूद नहीं था उसके फ़ज़ाएल व वाकेए के एतराफ़ में भी दिल का चोर छुपाया।
📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-42, 43
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी
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https://MjrMsg.blogspot.com/p/zalzala.html
कुरआन की आयत भी बरहक़ और हदीस भी वाजबुत्तस्लीम ।
लेकिन इतना अर्ज़ करने की इजाज़त चाहूंगा कि मज़कूरा बाला आयत व हदीस अगर रसूले मुजतबा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हक़ में इल्म माफ़िल अरहाम ( यह इल्म कि माँ के पेट में क्या है ) के इन्कार की दलील बन सकती है तो इल्म व दियानत के हुजूर में इस सवाल का जवाब दिया जाए कि यही आयत और यही हदीस देवबन्दी उल्मा के नज़दीक क़ाज़ी अब्दुल ग़नी मौल्वी क़ासिम साहब नानौतवी और मौलवी रशीद अहमद साहेब गंगोही के हक़ में इल्म माफ़िल अरहाम के एतकाद से क्यों नहीं रोक रही है।
और अगर अपने बुजुर्गों के हक़ में मज़कूरा बाला आयत व हदीस की कोई तावील तलाश कर ली गई थी तो फिर वही तावील रसूले मुजतबा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हक़ में क्यों नहीं रवा रखी गई।
एक ही मसले में ज़हन के दो रुख़ की वजह सिवाए इसके और क्या हो सकती है कि जिसे अपना समझा गया उसके कमालात के इज़हार के लिए नहीं भी को गुंजाइश थी तो निकाल ली गई और जिस के लिए दिल के अन्दर
को नरम गोशा तक मौजूद नहीं था उसके फ़ज़ाएल व वाकेए के एतराफ़ में भी दिल का चोर छुपाया।
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