🕌 एतक़ाद व अमल के दर्मियान शर्मनाक तसादुम 🕋

सरबा गरेबा होकर इल्म व दयानत की पामाली का ज़रा तमाशा मुलाहेज़ा फ़रमाईए कि सवानेह क़ासिमी नामी किताब ख़ास दारुल देवबन्द के ज़ेरे एहतेमाम शाए हुई है।

क़ारी तय्यब साहेब मोहतमिम बज़ाते खुद इस के पब्लिशर हैं अपने हल्क़ए असर में किताब की सक़ाहत ( वज़न) किसी रुख़ से भी मश्कूक ( सामंजस्य) नहीं कही जा सकती लेकिन सख़्त हैरत है कि नानौतवी साहेब को माफ़ौकुल बशर ( सारे इन्सानों से ऊपर ) साबित करने के लिए देवबन्दी जमाअत के उन मशाहीर ने एक ऐसी खुली हुई हक़ीक़त का इन्कार कर दिया जिसे अब वह छिपाना भी चाहें तो नहीं छुपा सकते।

मिसाल के तौर पर वफ़ात याफ़ता बुजुर्गों की रुहों से इमदाद के मसले में देवबन्दी हज़रात का असल मज़हब
क्या है? उसे मालूम करने के लिए देवबन्दी मज़हब की बुनियादी किताब तक़वियतुल ईमान की यह इबारत पढ़िए।।।।।।।।।।।

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-32, 33

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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