एक और हैरत अंगेज़ वाकेआ..............

वह पंजाब की तरफ़ किसी इलाके में चला गया और किसी कसबा की मस्जिद में लोगों ने उनको इमाम की जगह दे दी।

कस्बा वाले उससे क़ाफ़ी मानूस हो गए और अच्छी गुज़र बसर होने लगी। इसी अर्से में कोई मौलवी साहेब गश्त लगाते हुए उस कस्बे में भी आधमके वाज़ व तकरीर का सिलसिला शुरू किया लोग उनके कुछ मोतकिद हो गए। उन्होंने दरयाफ्त किया कि यहाँ की मस्जिद का इमाम कौन है कहा गया कि देवबन्द के पढ़े हुए मौलवी साहेब हैं।

देवबन्द का नाम सुनना था कि वाएज़ मौलाना साहेब आग बगूला हो गए और फ़तवा दे दिया कि इस अर्से में जितनी नमाज़ें इस देवबन्दी के पीछे तुम लोगों ने पढ़ी है वह सिरे से अदा ही नहीं हुई हैं। और जैसा कि
दस्तूर है ,देवबन्दी यह हैं, वह है , यह कहते हैं, वह कहते हैं, इस्लाम के दुश्मन हैं। रसुलूल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अदावत रखते हैं। वग़ैरा-वग़ैरा।

कस्बाती मुसलमान बेचारे सख़्त हैरान हुए कि मुफ्त में उस मौलवी पर रुपये भी बर्बाद हुए और नमाज़ें भी बर्बाद हुई एक वफ़्द उस ग़रीब देवबन्दी इमाम के पास पहुंचा और मुस्तदई हुआ कि मौलाना वाएज़ साहेब जो हमारे कस्बे में आए हैं उनके जो इलज़ामात हैं या तो उनका जवाब दीजिए वर्ना फ़िर बताईये कि हम लोग आप के साथ क्या करें।।।।।।।

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-26

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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