देवबन्दी जमाअत के दीनी पेशवा कारी तैयब साहब मोहतमिम दारुल उलूम देवभन्द लिखते हैं ~

(29). किताब सुन्नत को सामने रख कर इल्म की तक़सीम यूं न होगी कि अल्लाह को इल्मे ज़ाती रसूलों को इल्मेअताई यानी नवई फ़र्क के साथ दोनों का बराबर है। एक हकीकी खुदा एक मजाज़ी खुदा।
#(तौहीद नम्बर, सफा: 121 )

(30). यह आयत ता कियामत यही ऐलान करती रहेगी कि आप को इल्मे ग़ैब न था। इसके माने यह है कि कियामत तक आपको इल्मे ग़ैब न होगा।
#(तौहीद नम्बर, सफा: 126)

★मआजल्लाह★



📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०- 16

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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