🕌 एक और इब्रत नाक कहानी...... 🕋

खुदा मोहलत दे तो थोङी देर ईमान व अकीदत के साये में बैठकर सोचियेगा कि क्या सचमुच यही तस्वीर है उस खुसरूए ज़माना की जिसे रसूलुस्सक़लैन ने किश्वरे हिन्द में अपना नाएबुस्सल्तनत बनाकर भेजा है।

और जवाब मिलने की तवक़्क़ा हो तो अपने ज़मीर से इतना ज़रूर दरियाफ़त कीजिएगा कि क़लम की वह रौशनाई जो नानौतवी साहेब की "हम्द" ( तारीफ़ ) में गंगा जमुना की तरह बह रही थी वही ख़्वाजए ख़्वाजगाने चिश्त की मनक़ेबत के सवाल पर अचानक क्यों खुश्क हो गई?

इतनी तफसीलात के बाद अब यह बताने की ज़रुरत नहीं है कि वफ़ात याफ़्ता बुजुर्गों से इमदाद के मस्ले में
देवबन्दी हज़रात का असली मज़हब क्या है?

अलबत्ता इस इल्ज़ाम का जवाब हमारे ज़िम्में नहीं है कि एक ही एतेक़ाद जो रसूल व वली के हक़ में शिर्क है। वही घर के बुजुर्गों के हक़ में इस्लाम व ईमान क्यों कर बन गया है?।।।।।।।

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-39

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

🔴इस पोस्ट के दीगर पार्ट के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/zalzala.html