देवबन्दी जमाअत के दीनी पेशवा मौलवी मन्जू र साहब नोमानी लिखते हैं ~
(31). जिस तरह मोहब्बते ईसवी के परदे में उलूहिय्यते मसीह के अकीदे ने नशा व नुमा पाई और जैसे कि हुब्बे अहले बैत के नाम पर रफ्ज़ को तरक्की हुई इसी तरह हुब्बे नबवी और इश्के रिसालत का रंग देकर मस्लए इल्मे ग़ैब को भी फ़रेग़ दिया जा रहा है और बेचारे अवाम मोहब्बत का ज़ाहेरी उनवान देख कर बराबर इस पर ईमान ला रहे हैं ।
#( अलफुर्कान शुमारा:5, जिल्द: 6, सफा: 11 )
(32). चुंकि अकीदए इल्मे ग़ैब का यह ज़हर मोहब्बत के दूध में मिलाकर उम्मत के हलकों से पिलाया जा रहा है इस लिए यह उन तमाम गुमराहाना ऐतकादात से ज़्यादा ख़तरनाक और तवज्जह का मोहताज है जिन पर मोहब्बत और आकीदत का मुलम्मा नहीं किया गया है।
#( अलकुर्कान शुमारा :5, जिल्द :6, सफा: 13)
★ मआजल्लाह ★
📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०- 16, 17
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी
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