🕌 इल्म माफ़िल अरहाम का अजीब व ग़रीब वाकिआ..... 🕋
इन्साफ़ कीजिए।
एक तरफ़ तो घर के बुजुर्गों के हक़ में दिलों का एतकाद यह है और दूसरी तरफ़ रसूले मुजतबा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इल्मे ग़ैब के इन्कार में बुख़ारी शरीफ़ की यह हदीस देवबन्दी उल्मा की ज़बान व क़लम की नोक से हमेशा लगी रहती है।
" सही बुख़ारी शरीफ़ में हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने उमर रज़ीअल्लाहु तआला अन्हुमा से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है कि मफ़ातीहे ग़ैब जिन का खुदा के सिवा कोई नहीं जानता वह पाँच चीज़ हैं जो सूरए लुक्मान की आख़री आयत में मज़कूर है यानी क़यामात का वक़्त मख़सूस बारीश का ठीक वक़्त की कब नाज़िल होगी माफ़िल अरहाम यानी औरत के पेट में क्या है? बच्चा है या बच्ची मुस्तक़बिल के वाकियात
मौत का सही मुकाम।
#फ़तेह बरैली का दिलकश नज़्ज़ारा, सफा: 58
📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-42
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी
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https://MjrMsg.blogspot.com/p/zalzala.html
इन्साफ़ कीजिए।
एक तरफ़ तो घर के बुजुर्गों के हक़ में दिलों का एतकाद यह है और दूसरी तरफ़ रसूले मुजतबा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इल्मे ग़ैब के इन्कार में बुख़ारी शरीफ़ की यह हदीस देवबन्दी उल्मा की ज़बान व क़लम की नोक से हमेशा लगी रहती है।
" सही बुख़ारी शरीफ़ में हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने उमर रज़ीअल्लाहु तआला अन्हुमा से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है कि मफ़ातीहे ग़ैब जिन का खुदा के सिवा कोई नहीं जानता वह पाँच चीज़ हैं जो सूरए लुक्मान की आख़री आयत में मज़कूर है यानी क़यामात का वक़्त मख़सूस बारीश का ठीक वक़्त की कब नाज़िल होगी माफ़िल अरहाम यानी औरत के पेट में क्या है? बच्चा है या बच्ची मुस्तक़बिल के वाकियात
मौत का सही मुकाम।
#फ़तेह बरैली का दिलकश नज़्ज़ारा, सफा: 58
📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-42
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