वफ़ात के बाद मौलवी क़ासिम नानौतवी का जिस्मे ज़ाहेरी के साथ मदरसाए देवबन्द में आना

( क़ारी तय्यब साहेब मोहतमिम दारुल उलूम देवबन्द बयान करते हैं कि जिस ज़माने में मौलवी रफ़ीउद्दीन साहेब मदरसा के मोहतिमम थे दारुल उलूम के बाज़ मुदर्रेसीन के दरमियान आपस में कुछ नेज़ा ( झगङा ) छिङ गई। आगे चलकर मदरसे के सदर मुदर्रिस मौलवी महमूदुल हसन साहेब भी ह॔गामे में शरीक हो गए और झगङा तूल पकङ गया। अब इसके बाद के वाकिआ क़ारी तय्यब साहेब ही की जुबानी सुनिये मौसूफ़ लिखते है कि।।।।।।

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-23


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