देवबन्दी जमाअत के इमामे अव्वल मौलवी इस्माइल साहब लिखते हैं ...…...
(7). अल्लाह साहब ने पैग़म्बर सलअम को फरमाया कि लोगों से यूं कह देवें कि ग़ैब की बात सिवाए अल्लाह के कोई नहीं जानता न फ़रिश्ते न आदमी न जिन न कोई चीज़ यानी ग़ैब की बात जान लेना किसी के एख़्तियार में नहीं।
#(तकवियतुल ईमान, सफा : 22)
(8). सो उन्होंने (यानी रसूले खुदा ने) बयान कर दिया कि मुझको न कुछ कुदरत है न कुछ ग़ैब दानी मेरी कुदरत का हाल तो यह है कि अपनी जान तक के भी नफा व नुकसान का मालिक नहीं तो दूसरे का तो क्या कर सकूं। और ग़ैबदानी अगर मेरे काबू में होती तो पहले हर काम का अन्जाम मालूम कर लेता अगर भला मालूम होता तो उसमें हाथ डालता अगर बुरा मालूम होता तो काहे को उसमे कदम रखता ग़र्ज़ कि कुदरत और ग़ैब दानी मुझ में नहीं और कुछ खुदाई का दावा नहीं फ़क़त पैग़ैम्बरी का मुझ को दावा है ।
#(तकवियतुल ईमान, सफा:24)
★मआजल्लाह★
📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-12, 13
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी
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(7). अल्लाह साहब ने पैग़म्बर सलअम को फरमाया कि लोगों से यूं कह देवें कि ग़ैब की बात सिवाए अल्लाह के कोई नहीं जानता न फ़रिश्ते न आदमी न जिन न कोई चीज़ यानी ग़ैब की बात जान लेना किसी के एख़्तियार में नहीं।
#(तकवियतुल ईमान, सफा : 22)
(8). सो उन्होंने (यानी रसूले खुदा ने) बयान कर दिया कि मुझको न कुछ कुदरत है न कुछ ग़ैब दानी मेरी कुदरत का हाल तो यह है कि अपनी जान तक के भी नफा व नुकसान का मालिक नहीं तो दूसरे का तो क्या कर सकूं। और ग़ैबदानी अगर मेरे काबू में होती तो पहले हर काम का अन्जाम मालूम कर लेता अगर भला मालूम होता तो उसमें हाथ डालता अगर बुरा मालूम होता तो काहे को उसमे कदम रखता ग़र्ज़ कि कुदरत और ग़ैब दानी मुझ में नहीं और कुछ खुदाई का दावा नहीं फ़क़त पैग़ैम्बरी का मुझ को दावा है ।
#(तकवियतुल ईमान, सफा:24)
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