देवबन्दी जमाअत के दीनी पेशवा मौलवी रशीद अहमद साहेब गंगोही लिखते हैं........

(12). और यह अकीदा रखना कि आप ( यानी हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ) को इल्मे ग़ैब था सरीह शिर्क है।
#(फ़तावाए रशीदिया, जिल्द: 2, सफा: 14)

(13). इस्वाते इल्मे ग़ैब ग़ैरे हक़ तआला को शिर्क सरीह है ।
#(फ़तावाए रशीदिया, जिल्द: 2, सफा: 17 )

(14). जो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के आलेमुलग़ैब होने का मोतकिद है वह सादाते हनफिया ( यानी उल्माए हनफिया) के नज़दीक कतअन मुश्रिक व काफिर है।
#( फतावाए रशीदाया, जिल्द: 3, सफा: 42)



★मआजल्लाह★

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-14

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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