एक और हैरत अंगेज़ वाकेआत ...…....

अब आप ही इंसाफ कीजिए कि यह सूरते हाल क्या इस यकिन को तकवियत नहीं पहुंचाती कि इन हज़रात के यहाँ कुफ्र व शिर्क की तमाम बहसें सिर्फ़ इसलिए हैं कि उन्हें अम्बिया व औलिया की हुरमतों के ख़िलाफ़ हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाए वर्ना ख़ालिस अकीदए तौहीद का जज़बा इस के पसे म॔ज़र में कार फ़रमा होता तो शिर्क के सवाल पर अपने और बेगाने की तफ़रीक़ क्यों रवा रखी जाती?


📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-29, 30

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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