लाइलाहा इल्लल्लाह देख रहे हैं आप?
इस एक वाकिआ के साथ कितने मुश्रेकाना अकीदे लिपटे हुए हैं।
पहला अकीदा तो मौलवी क़ासिम साहेब नानौतवी के हक़ में इल्मे ग़ैब का है क्यों कि इन हज़रात के तई अगर उन्हें इल्मे ग़ैब नहीं था तो आलमे बर्ज़ख में उन्हें क्यों कर ख़बर हो गई कि मदरसा देवबन्द में मुदर्रेसीन के दरमियान सख़्त ह॔गामा हो गया है यहा तक कि मदरसा के सदर मुदर्रिस मौलवी महमूदुल हसन साहेब भी उसमें शमील होगए हैं चल कर उन्हें मना कर दिया जाए।
और फिर उनकी रुह की कव्वते तसर्रुफ़ का क्या कहना यानी साहेब के इर्शाद के मुताबिक इस जहाने ख़ाकी में दोबारा आने के लिए उसने खुद ही आग पानी और हवा मिट्टी का एक इन्सानी जिस्म तैयार किया और खुद ही उसमें दाखिल होकर ज़िन्दगी के आसार और नक़ल व हर्कत की कुव्वते इरादी से मुसल्लह हुई और
लहद से निकल कर सीधे देवबन्द के मदरसे में चली आई।।।।
◆ मआज़ल्लाह ◆
📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-24
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी
🔴इस पोस्ट के दीगर पार्ट के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/zalzala.html
इस एक वाकिआ के साथ कितने मुश्रेकाना अकीदे लिपटे हुए हैं।
पहला अकीदा तो मौलवी क़ासिम साहेब नानौतवी के हक़ में इल्मे ग़ैब का है क्यों कि इन हज़रात के तई अगर उन्हें इल्मे ग़ैब नहीं था तो आलमे बर्ज़ख में उन्हें क्यों कर ख़बर हो गई कि मदरसा देवबन्द में मुदर्रेसीन के दरमियान सख़्त ह॔गामा हो गया है यहा तक कि मदरसा के सदर मुदर्रिस मौलवी महमूदुल हसन साहेब भी उसमें शमील होगए हैं चल कर उन्हें मना कर दिया जाए।
और फिर उनकी रुह की कव्वते तसर्रुफ़ का क्या कहना यानी साहेब के इर्शाद के मुताबिक इस जहाने ख़ाकी में दोबारा आने के लिए उसने खुद ही आग पानी और हवा मिट्टी का एक इन्सानी जिस्म तैयार किया और खुद ही उसमें दाखिल होकर ज़िन्दगी के आसार और नक़ल व हर्कत की कुव्वते इरादी से मुसल्लह हुई और
लहद से निकल कर सीधे देवबन्द के मदरसे में चली आई।।।।
◆ मआज़ल्लाह ◆
📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-24
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी
🔴इस पोस्ट के दीगर पार्ट के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/zalzala.html