देवबन्दी जमाअत के मुतफ़र्रिक़ हज़रात की इबारतें ~

(37). उन लोगों को अपने दिमाग की मरम्मत करानी चाहिए जो यह लग़वतरीन और अहमक़ाना दावा करते हैं कि रसूलुल्लाह को इल्मे ग़ैब था।
#( आमिर उस्मानी तजल्ली देवबन्द बाबत दिसम्बर :1960,ई )

(38). उलूहिय्यत और इल्मे ग़ैब के दर्मियान एक ऐसा गहारा तअल्लुक है कि क़दीम तरीन ज़माने से इन्सान ने जिस हस्ती में भी खुदाई के किसी शाएबा का गुमान किया है उसके मुतअल्लिक़ ये ख़्याल ज़रूर किया है कि उस पर सब कुछ रौशन है और कोई चीज़ उससे पोशीदा नहीं।
#(मौलाना मौदूदी अलहसनात रामपुर)



★ मआजल्लाह ★

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०- 18

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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