वफ़ात के बाद मौलवी क़ासिम नानौतवी का जिस्मे ज़ाहेरी के साथ मदरसाए देवबन्द में आना......

(इसी दौरान एक दिन अलस्सबाह बाद नमाज़े फ़ज्र मौलाना रफीउद्दीन साहेब रहमतुल्लाह अलैहि ने मौलाना महमूदुल हसन साहेब को अपने हुजरे में बुलाया ( जो दारुल उलूम देवबन्द में है ) मौलाना हाज़िर हुए और बन्द हुजरा के केवाङ खोल कर अन्दर दाख़िल हुए मौसम सख़्त सर्दी का था।

मौलाना रफीउद्दीन साहेब रहमतुल्लाह अलैहि ने फरमाया कि पहले यह मेरा रुई का लेबादा देख लो। मौलाना ने लेबादा देखा तो तर था और खूब भीग रहा था फरमाया कि वाकिआ यह है कि अभी-अभी मौलाना नानौतवी रहमतुल्लाह अलैहि जसदे उन्सुरी ( जिस्मे जाहिर ) के साथ मेरे पास तशरीफ़ लाए थे जिससे मैं एक दम पसीना -पसीना हो गया और मेरा लेबादा तरबतर हो गया और यह फरमाया कि महमूद हसन को कह दो कि वह इस झगङे में न पङे। बस मैं ने यह कहने के लिए बुलाया है। मौलाना महमूद हसन साहेब ने
अर्ज़ किया कि हज़रत मैं आप के हाथ पर तौबा करता हूं कि इस के बाद मैं इस किस्से में कुछ न बोलूंगा।

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-23

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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