क्या इस सूरते हाल को आप मज़हबी तारीख़ का सब से बङा फ़रेब और धोखा नहीं करार देंगे और इस सनसनी ख़ेज़ इन्किशाफ़ के बाद आपके ज़हन की सतह उन हज़रात की जो तस्वीर उभरेगी क्या वह रास्तों के उन ठगों से कुछ मुख़्तलिफ़ होगी जो आँखों में धूल झोंक कर मुसाफ़िरों को लूट लिया करते हैं।

अगर हालात का यह रद्दे अमल ( reaction) फ़ितरत के ऐन मुताबिक है तो सुन लीजिए कि जो सूरते हाल आपने फ़र्ज की थी वह मफ़रुज़ा ( baseless) नहीं बल्कि अमरेवाकिया ( fact ) है। हमारे इस पेशे लफ्ज़ पर आप ऐतमाद न कर सके तो ज़हनी तौर पर एक हैरत अंगेज़ तबदीली के लिए तय्यार होकर वर्क़ उलटिये और देवबन्दी जमाअत के पेशवाओं के वह वाकिआत पढ़िये जिन में अकीदए तौहीद और इस्लामी ईमान की सलामती के सिवा सब कुछ है।

★ मआजल्लाह ★



📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०- 19, 20

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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