देवबन्दी जमाअत के दीनी पेशवा मौलवी रशीद अहमद साहेब गंगोही लिखते हैं .......

(10). जो शख़्स अल्लाह जल्लशानहू के सिवा इल्म ग़ैब किसी दूसरे को साबित करे।।।। वह बेशक काफिर है उसकी इमामत और उससे मेल जोल मोहब्बत व मोवद्दत सब हराम है ।
#(फ़तावाए रशीदिया, जिल्द 2, सफा :10)

(11) इल्मे ग़ैब ख़ास्सऐ हक़ जल्लेशानहू है।
#(फ़तावाए रशीदिया, जिल्द: 1, सफा: 20 )



★मआजल्लाह★

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-13

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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