🕌 एक और ईमान शिकन रिवायत ..... 🕋

लेकिन वाए रे देवबन्दी ज़ेहन की बुलअजबी।

इल्म व इन्केशाफ़ की जो मानवी कुव्वत अदना उम्मती के लिए वह बेतकल्लुफ़ तसलीम कर लेते हैं वही पैग़म्बर के हक़ में तसलीम करते हुए खुदा के साथ शिर्क की क़बाहत ( बुराइ ) नज़र आने लगती है।

इन "मुवहहेदीन" के तिलिस्म फ़रेब का मज़ीद तमाशा देखना चाहते हों तो एक तरफ़ अब्दुल्लाह खाँ राजपूत के मुतअल्लिक़ नानौतवी साहेब की ब्यान करदा रिवायत पढ़िए और दूसरी तरफ़ देवबन्दी मज़हब की बुनियाद तक़वियतुल ईमान का यह फ़रमान मुलाहेज़ा फ़रमाईऐ कि:-

"इसी तरह जो कुछ मादा के पेट में है उसको भी ( खुदा के सिवा ) कोई नहीं जान सकता कि एक है या दो नर
है या मादा कामिल है या नाक़िस खूबसूरत है या बद सूरत ।

#तक़वियतुल ईमान, सफा- 22

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-44

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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