🕌 एक और इब्रत नाक कहानी ......🕋

अब आप ही फ़ैसला कीजिए कि यह सूरते हाल क्या इस यकीन को तकवियत नहीं पहुंचाती कि इन हज़रात के यहाँ कुफ्र व शिर्क की यह सारी बहसें सिर्फ इसलिए हैं कि अम्बिया व औलिया की हुरमतों को घायल करने के लिए उन्हें हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाए।

वर्ना ख़ालिस अकीदए तौहीद का जज़बा इसके पसे मंज़र में कारफ़रमा होता तो शिर्क के सवाल पर अपने और बेगाने के दरमियान यह तफ़रीक़ क्यों रवा रखी जातीहै ?

ज़मनी ( अन्दरुता) तौर पर बहस निकल आई वर्ना सिलसिला चल रहा था उल्माए देवबन्द की ग़ैबदानी और
खुदाई इख़्तियारात से मुतअल्लिक तसनीफ़ करदा वाक़ेआत का।

अब फिर उसी सिलसिला के साथ अपने ज़हन का रिश्ता जोङ लीजिए।

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०-39, 40

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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